Thursday, 8 February 2024

History of Queen of Jhansi...

झाँसी की रानी "लक्ष्मी बाई"

झाँसी की रानी - एक अनूठी कहानी

जब रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से अंतिम युद्ध लड़ते हुए घायल हो गई और अंग्रेज उनका पीछा कर रहे थे, तब एक अंग्रेज ने गोली चलाई, जो रानी लक्ष्मीबाई की बाई जंघा में लगी।

इस समय रानी के दोनों हाथों में तलवारें थीं, लेकिन गोली लगने के बाद जब सम्भलना कठिन हुआ, तो उन्होंने बाएं हाथ की तलवार फेंक दी और लगाम पकड़ी थी !

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गोली चलाने वाले अंग्रेज को रानी ने दाएं हाथ की तलवार से समाप्त किया। इसी समय एक और अंग्रेज ने तलवार से रानी लक्ष्मीबाई के सिर पर प्रहार किया, जिससे रानी के सिर का एक हिस्सा कट गया और दाई आंख बाहर आ गई।


ऐसी परिस्थिति में भी रानी ने उस अंग्रेज का कंधा काट दिया। तब तक रानी के वीर रघुदास भी आ पहुंचे। वीर साथी ने उस अंग्रेज के 2-2 टुकड़े कर दिए।


फिर रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई और उनके अंतिम संस्कार के समय वहां वीर   रघुदास , रघुनाथ, देशमुख व बालक दामोदरराव थे।

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रानी लक्ष्मीबाई के अंतिम समय का ये वर्णन वृंदावनलाल वर्मा ने किया है। वृंदावनलाल वर्मा के परदादा झांसी के दीवान आनंदराय थे, जिन्होंने रानी लक्ष्मीबाई का साथ देते हुए वीरगति पाई। इस अंतिम समय के बारे में वृंदावनलाल को उनकी परदादी ने बताया, उस समय वृंदावनलाल की आयु 10 वर्ष थी।

(फोटो झांसी दुर्ग का है जो आज भी वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का वीरान गवाह है)


"Inspiration from Queen of Jhansi"

भारतीय इतिहास में कई शूरवीर नारियों की कहानियाँ हैं, जोने अपने साहस और पराक्रम से देश को गौरवान्वित किया। इनमें से एक अद्वितीय कहानी है 'झाँसी की रानी' की, जिनका असली नाम मानिकर्णिका था।


मानिकर्णिका का जन्म १९ नवंबर १८२८ को हुआ था। उनका बचपन से ही एक साहसी और स्वतंत्र भारत की भावना से भरा था। वह बचपन में ही स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्त्रोत थीं और उनके मन में राष्ट्रभक्ति का भाव उजागर होता चला गया।


झाँसी की रानी की शौर्य भरी कहानी उनके वीरता और साहस की बदौलत ही है। उन्होंने अपनी शानदार सेना के साथ झाँसी की राजधानी को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त कराने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने सपूतों को भी साथ दिया और उन्हें सेना के अगुआई में योगदान देने का संकल्प लिया।


झाँसी की रानी का वीर रूप और उनका शौर्य भारतीय जनता के बीच आज भी याद किया जाता है। उनके बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नए ऊचाईयों तक पहुँचाया और उन्हें 'झाँसी की रानी' के रूप में याद किया जाता है।


झाँसी की रानी ने अपने योगदान से हमें सिखाया कि साहस, समर्पण, और देशभक्ति से भरपूर हृदय के साथ ही हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। उनकी इस अनूठी कहानी ने हमें यह सिखाता है कि छोटी उम्र में ही यदि हमारा निश्चय दृढ़ हो तो हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं।


इस प्रकार, झाँसी की रानी की अनूठी कहानी हमें साहस, समर्पण, और निष्ठा की महत्वपूर्णता को समझाती है और हमें यह याद दिलाती है कि हम सभी मिलकर अपने देश को महान बना सकते हैं।


"Bravery of the Queen of Jhansi"...🗡️🔥📜

#history_इतिहास...✍️


हर हर महादेव...🚩



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